इंडेक्स ट्रेडिंग के लिए ऑटोमेटेड ट्रेडिंग: एक विस्तृत गाइड

Stanislav Bernukhov

सीनियर ट्रेडिंग स्पेशलिस्ट Exness में

ट्रेड शुरू करें

यह निवेश सलाह नहीं है। पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों का संकेत नहीं है। आपकी पूंजी जोखिम में है, कृपया सावधान रहें।

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क्या ऑटोमेटेड ट्रेडिंग एक अच्छा विचार है? अगर आप अपने ट्रेड को ऑटोमेटेड करने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन सोच रहे हैं कि क्या यह जोखिम भरा है या यह भरोसेमंद है कि नहीं, तो इसके बारे में आगे पढ़ें। इस गाइड में हम इस प्रकार की ट्रेडिंग के भीतरी और बाहरी पहलुओं के बारे में गहराई से जानकारी देंगे और विशेष रूप से स्टॉक इंडेक्स में ऑटो ट्रेडिंग के इस्तेमाल पर ध्यान देंगे।

हम इसके बारे में भी जानेंगे कि आपके ट्रेडिंग एल्गोरिद्म को कैसे सेट करें। साथ ही, यह भी जानेंगे कि ट्रेडिंग इंडेक्स के लिए अलग-अलग ट्रेडिंग एल्गोरिद्म क्या हैं और अपनी पसंदीदा रणनीति को कैसे डिज़ाइन करें। तो, चलिए शुरू करते हैं।

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग क्या होती है?

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग - जिसे एल्गोरिद्म या एल्गो ट्रेडिंग, ऑटो ट्रेडिंग, ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है - यह अलग-अलग बाज़ारों में वित्तीय परिसंपत्तियों को खरीदने और बेचने की ट्रेडिंग प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने के लिए कंप्यूटर एल्गोरिद्म का उपयोग है। इसमें मानवीय हस्तक्षेप के बिना ट्रेडिंग से जुड़े फ़ैसले लेने के लिए पहले से तय नियमों और गणितीय मॉडल का उपयोग किया जाता है। ऑटोमेटेड प्रणालियों का प्राथमिक लक्ष्य ट्रेडिंग रणनीतियों का कुशल और सबसे बेहतरीन निष्पादन हासिल करना है।

इंडेक्स ट्रेडिंग कैसे करें

स्टॉक इंडेक्स मूलतः गणित का एक सूत्र है। इसलिए, ट्रेडर्स अक्सर आश्चर्य करते हैं कि आखिर स्टॉक इंडेक्स पर ट्रेड करना कैसे संभव है?

आप इसे एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF), फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट्स फॉर डिफरेंस (CFD) के माध्यम से कर सकते हैं। ETF और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का एक्सचेंज पर ट्रेड किया जाता है, जबकि CFD ब्रोकर जैसे स्वतंत्र बाज़ार निर्माता आमतौर पर CFD मुहैया कराते हैं।

ये सभी इंस्ट्रूमेंट्स आपको व्यक्तिगत स्टॉक रखने की आवश्यकता के बिना, किसी भी दिशा में मार्केट इंडेक्स की एक विस्तृत श्रृंखला के प्रदर्शन का लाभ उठाने में सक्षम बनाते हैं।

आइए अब इस पर करीब से नज़र डालें कि ऑटो ट्रेडिंग को स्टॉक इंडेक्स की ट्रेडिंग में कैसे लागू किया जा सकता है।

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग का एक संक्षिप्त इतिहास

ऑटो ट्रेडिंग की शुरुआत 1970 के दशक में हुई। 1980 के दशक में इसे तब और विकसित किया गया, जब कंप्यूटर की टेक्नोलॉजी का उपयोग वित्तीय बाज़ारों में किया जाने लगा। हालाँकि, 1990 के दशक तक ऐसा नहीं था कि एल्गो ट्रेडिंग ने महत्वपूर्ण गति पकड़ ली हो। कंप्यूटिंग क्षेत्र में हुई प्रगति और बेशकीमती इनसाइट हासिल करने के लिए बाज़ार के ऐतिहासिक डेटा की उपलब्धता ने ट्रेडर्स को जटिल ट्रेडिंग एल्गोरिद्म विकसित करने और बैकटेस्ट करने में सक्षम बनाया है।

अन्य इंस्ट्रूमेंट्स के विपरीत, स्टॉक इंडेक्स की एक लंबी ऐतिहासिक उपस्थिति होती है और इसके साथ जाने के लिए पर्याप्त डेटाबैंक होते हैं। ये एल्गोरिद्म नौसिखियों और अनुभवी ट्रेडर्स को उनकी स्वचालित रणनीतियों का समर्थन करने के लिए बहुत सारी सामग्री प्रदान करते हैं। हालाँकि, कुछ डेटा मौजूदा बाज़ार स्थितियों पर लागू नहीं हो सकते हैं, लेकिन अलिखित नियम यह है कि डेटा का सैंपल साइज़ जितना बड़ा होगा, एक सफल ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम बनाना उतना ही आसान होगा।

S&P 500 इंडेक्स का एक ऐतिहासिक चार्ट। स्रोत: Macrotrends.net

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग प्लेटफ़ार्म कैसे सेट करें

अलग-अलग प्रकार के टूल और एक प्रोग्रामिंग सिस्टम के साथ एक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म चुनकर अपना ट्रेडिंग एल्गोरिद्म सेट करना शुरू करें। यहाँ इससे जुड़े कुछ लोकप्रिय विकल्प दिए गए हैं:

  • एल्गोरिद्म ट्रेडिंग टूल और प्लेटफ़ॉर्म: MetaTrader जैसा ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म स्पष्ट रूप से ऑटो ट्रेडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है। टूल इस ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के भीतर काम करते हैं। यह ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म, प्लेटफ़ॉर्म की इन-बिल्ड कोडिंग भाषा का उपयोग करके, टर्मिनल के ज़रिए सीधे ट्रेडिंग सर्वर को ऑर्डर भेजता है।
  • लाइब्रेरी के साथ पाइथन: पाइथन एक बहुउद्देशीय प्रोग्रामिंग भाषा है, जिसका उपयोग एल्गो ट्रेडिंग में व्यापक रूप से किया जाता है। NumPy, pandas, और backtrade जैसी पाइथन के साथ वाली लाइब्रेरीज़ का उपयोग आमतौर पर बैकटेस्टिंग और निष्पादन के लिए किया जाता है। इसमें आपकी प्रोग्रामिंग भाषा के कोड को API के माध्यम से ट्रेडिंग खाते से लिंक करना शामिल है।

ऐतिहासिक डेटा को एक्सेस करना

ट्रेडिंग एल्गोरिद्म के निर्माण और बैकटेस्टिंग के लिए MetaTrader 4 (MT4) या MetaTrader 5 (MT5) में ऐतिहासिक डेटा का एक्सेस होना ज़रूरी है। आप ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म के इन-बिल्ड टूल का उपयोग करके इस डेटा को एक्सेस कर सकते हैं।

MetaTrader5 में ऐतिहासिक डेटा को कैसे एक्सेस करें

  • 'मार्केट वॉच' विंडो खोलें और अपना MT5 ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च करें।
  • 'मार्केट वॉच' विंडो (आमतौर पर बाईं ओर) में अपना पसंदीदा ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट ढूँढें।
  • विवरण देखने के लिए इंस्ट्रूमेंट पर राइट-क्लिक करें और 'स्पेसिफ़िकेशन' चुनें।

MT5 पर ऐतिहासिक डेटा कैसे डाउनलोड करें

  • 'स्पेसिफ़िकेशन' विंडो में, 'प्रतीक' टैब पर क्लिक करें।
  • वह समय सीमा चुनें, जिससे आप डेटा चाहते हैं (उदाहरण के लिए, M1, M5, H1, या D1) और 'डाउनलोड' बटन पर क्लिक करें।
  • MT5 चुनी गई समय सीमा के लिए ऐतिहासिक डेटा डाउनलोड करेगा।

बैकटेस्टिंग में ऐतिहासिक डेटा का उपयोग कैसे करें

  • बैकटेस्टिंग में डाउनलोड किए गए ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करने के लिए, टूल्स मेनू से MetaEditor खोलें।
  • एक विशेषज्ञ सलाहकार (EA) या कस्टम इंडिकेटर बनाएं या किसी मौजूदा विशेषज्ञ सलाहकार (EA) या कस्टम इंडिकेटर को खोलें।
  • रणनीति टेस्टर में, इंस्ट्रूमेंट और पसंदीदा समय सीमा को चुनें।
  • यह जानने के लिए एक बैकटेस्ट रन करें कि आपका एल्गोरिद्म ऐतिहासिक डेटा के साथ कैसा प्रदर्शन करता है।

यह चेकलिस्ट आपको बैकटेस्टिंग के लिए आवश्यक ऐतिहासिक डेटा हासिल करने में मदद कर सकती है। ऐसे डेटा का एक्सेस एल्गोरिद्म ट्रेडिंग की बुनियाद है।

स्टॉक इंडेक्स के लिए ट्रेडिंग एल्गोरिद्म के प्रकार

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम या रणनीति बनाने के कई तरीके हैं। एल्गोरिद्म मूल रूप से कोड में लिखी गई एक ट्रेडिंग रणनीति है। अधिकांश एल्गोरिद्म ट्रेडिंग रणनीतियाँ दो श्रेणियों में आती हैं: ट्रेंड-फ़ॉलोइंग और मीन रिवर्सन। ऑर्बिट्रेड, मार्केट-मेकिंग, हाई फ़्रिक्वेंसी ट्रेड (HFT) जैसी अन्य संभावित सफल ट्रेडिंग रणनीतियाँ और सांख्यिकी-आधारित अन्य रणनीतियाँ आमतौर पर पेशेवर क्वांटिटिव ट्रेडर्स के लिए हैं। ये शुरुआती या थोड़े अनुभव वाले ट्रेडर्स के लिए बेहतर नहीं हो सकते हैं। बड़ी निवेश कंपनियाँ अक्सर अपने ऑटोमेटेड ट्रेडिंग और रणनीतियों को निष्पादित करने के लिए, अपने मालिकाना हक वाले ऑटोमेटेड ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करती हैं, क्योंकि वे ऐसा करके न्यूनतम लेटेंसी और उच्चतम गति के निष्पादन को प्राथमिकता दे सकते हैं। हालाँकि, व्यक्तिगत रूप से ट्रेडिंग करने वालों के लिए, क्लासिक ट्रेंड-फ़ॉलोइंग और मीन-रिवर्सन सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना शायद बेहतर है, क्योंकि वे टेक्नोलॉजी की ज़रूरतों के मामले में सीमित हैं और इनमें जटिलता भी कम है।

ट्रेंड-फ़ॉलोइंग एल्गोरिद्म

ट्रेंड-फ़ॉलोइंग एल्गोरिद्म को कीमत के मौजूदा ट्रेंड का पता लगाने और उनका लाभ उठाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वे बाज़ार की दिशा निर्धारित करने और उसके अनुसार ट्रेड निष्पादित करने के लिए मूविंग एवरेज, रिलेटिव स्ट्रेंथ और मूमेंटम जैसे तकनीकी इंडिकेटर का उपयोग करते हैं। ये एल्गोरिद्म ट्रेंडिंग मार्केट में अच्छा काम करते हैं, लेकिन अस्थिर या साइडवेज़ मार्केट में नुकसान उठा सकते हैं।

नीचे एक साधारण ट्रेडिंग एल्गोरिद्म के ऐतिहासिक प्रदर्शन का उदाहरण दिया गया है, जो मूविंग एवरेज के क्रॉसओवर पर आधारित है, जिसे Nasdaq स्टॉक इंडेक्स पर लागू किया गया है, जिसे QQQ (Invesco का एक ETF, NASDAQ 100 इंडेक्स पर आधारित) में दिखाया गया है।

यह रणनीति आसान नियमों का उपयोग करती है। अगर कीमत मूविंग एवरेज के कॉम्बिनेशन को पार कर जाती है, तो आप एक स्तर बनाए रखते हैं।\

इस चार्ट में आप QQQ (Nasdaq) के लिए ट्रेंड-फ़ॉलोइंग रणनीति का बैकटेस्ट देख सकते हैं। अपनी रणनीति को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम पर लागू करने से पहले, अपनी रणनीतियों का बैकटेस्ट करना सुझबूझ भरा हो सकता है। ऑटो ट्रेडिंग फु़लप्रूफ़ नहीं है। स्रोत: Tradingview.com

ऑटो ट्रेडिंग में ट्रेंड-फॉलोइंग ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि ये वित्तीय बाज़ारों में में होने वाले उतार-चढ़ाव का फ़ायदा उठाते हैं। हालाँकि, ट्रेडिंग की किसी भी रणनीति की तरह, उनकी भी अपनी सीमाएँ हैं। ऑटो ट्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करते समय आपको कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

व्हिपसॉ और गलत सिग्नल

ट्रेंड-फॉलोइंग ट्रेडिंग सिस्टम, ट्रेंड्स की पहचान करने के लिए तकनीकी इंडिकेटर्स या मूविंग एवरेज पर निर्भर रहते हैं। हालाँकि, ये ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम आपको अस्थिर या साइडवे मार्केट के बारे में गलत सिग्नल दे सकते हैं। जब बाज़ार अचानक अपनी दिशा बदलता है, तो इससे ट्रेड में हानि हो सकती है। ऐसे गलत सिग्नल को 'व्हिपसॉ' के नाम से जाना जाता है।

लगातार नुकसान होने का खतरा

बाज़ार में कभी-कभी लंबे समय तक स्थिरता या अनियमितता देखने को मिल सकती है। ऐसे समय में, ट्रेंड-फॉलोइंग सिस्टम लंबे समय तक नुकसान की स्थिति का सामना कर सकते हैं, जो एक ट्रेडर के रूप में आपके लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

नीचे उसी रणनीति को लागू करने का एक उदाहरण दिया गया है, लेकिन बहुत कम ट्रेंडिंग (साइडवे) स्टॉक इंडेक्स के लिए, फ़्रांस का CAC40.

हालाँकि ट्रेन ने कुछ लाभ कमाया, लेकिन इसने कई गलत प्रविष्टियाँ भी उत्पन्न कीं, जिससे सारा लाभ वापस चला गया। रणनीति को ऐडजस्ट या बेहतर किया जा सकता है, लेकिन सामान्य नियम यह है कि ऐसी रणनीति में लाभ का एक स्पष्ट और विस्तारित ट्रेड होना चाहिए।

ऊपर आप CAC40 इंडेक्स की ट्रेंड-फ़ॉलोइंग रणनीति का इस्तेमाल देख सकते हैं। स्रोत: Tradingview.com

मीन रिवर्सन एल्गोरिद्म

मीन रिवर्सन एल्गोरिद्म उन रणनीतियों को संदर्भित करता है, जो मानती हैं कि कीमतें आमतौर पर समय के साथ अपने ऐतिहासिक औसत पर वापस आ जाती हैं। एक ट्रेडर के रूप में, आप इन एल्गोरिद्म का उपयोग अधिक कीमत वाली परिसंपत्तियों को बेचने के लिए करेंगे (मूल्य से अधिक कीमत) और बाज़ार द्वारा कम मूल्य वाली परिसंपत्तियों को खरीदने के लिए (उनके मौजूदा लिस्टेड मूल्य से अधिक मूल्य)। यह विधि उथल-पुथल भरी बाज़ार अवधि के दौरान उस समय संभावित रूप से मुनाफा कमाने में मदद कर सकती है, जब बज़ार के बारे में कोई सटीक अनुमान लगाना कठिन हो।

नीचे 4-घंटे के चार्ट पर S&P 500 इंडेक्स (SPY ETF) पर लागू स्विंग ट्रेडिंग मीन रिवर्सन रणनीति का एक उदाहरण दिया गया है। आप देख सकते हैं कि यह रणनीति अस्थिर बाज़ार में बेहतर तरीके से तब काम करती है, जब कीमतें ऊपर-नीचे हो रही होती हैं और कुछ रोटेशन प्रदर्शित कर रही हैं। मूल्य रोटेशन एक साइडवे कार्रवाई है, जहाँ कीमत कुछ निश्चित मूल्य स्तरों के आसपास घूमती रहती है।

यहां 4-घंटे के चार्ट के लिए S&P 500 इंडेक्स (SPY ETF) पर लागू स्विंग ट्रेडिंग मीन रिवर्सन रणनीति का एक उदाहरण दिया गया है। स्रोत:Tradingview.com

अगर आप मीन रिवर्सन रणनीति का उपयोग कर रहे हैं, तो आप नए शिखर पर पहुँचने पर इंडेक्स को शॉर्ट कर सकते हैं और नए निचले स्तर पर पहुँचने पर इसे खरीद सकते हैं। हालाँकि, 'व्यवहारिक दुनिया' की रणनीतियाँ अधिक जटिल हो सकती हैं और इसमें कुछ पुष्टियाँ शामिल हो सकती हैं।

सभी रणनीतियों की तरह, मीन रिवर्सन ट्रेड की भी अपनी सीमाएँ हैं। नीचे इसके कुछ उदारहण दिए गए हैं:

  • गलत सिग्नल: कभी-कभी कीमतें अपने सामान्य औसत बिंदु पर वापस नहीं आ सकती हैं और इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको वास्तविक मीन रिवर्सन ट्रेड की संभावनाओं और अस्थायी उतार-चढ़ाव के बीच अंतर करना आना चाहिए।
  • बाजार के ट्रेंड और मोमेंटम: जब बाज़ार एक ही दिशा की ओर तेज़ी का ट्रेंड हो, तो हो सकता है कि मीन रिवर्सन रणनीतियाँ अच्छी तरह से काम न करें। अगर आप ऐसे रिवर्सन को पकड़ने की कोशिश करते रहेंगे, जो कभी हुआ ही नहीं, तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • ड्रॉडाउन और बड़े नुकसान के जोखिम: अगर मीन रिवर्सन ट्रेड आपके खिलाफ़ जाता है और कीमत औसत से आगे बढ़ती रहती है, तो आपका नुकसान बढ़ सकता है। यह ज़रूरी है कि आप अपने जोखिम का प्रबंधन करें और अपने नुकसान को सीमित करने के लिए उचित स्टॉप लॉस स्तर निर्धारित करें।

ऑटोमेटेड ट्रेडिंग रणनीति कैसे डिज़ाइन करें

इस स्तर पर, हम मानकर चलते हैं कि आप पहले से ही जानते हैं कि आपको रणनीति की कौन-सी श्रेणी चाहिए। इसलिए, इन चरणों का पालन करें:

प्रवेश और निकास मानदंड को पहचानें

अपने ट्रेड के लिए स्पष्ट प्रवेश और निकास नियम निर्धारित करें और इन कारकों को ध्यान में रखें:

  • प्रवेश का सिग्नल: उन स्थितियों या संकेतकों को निर्धारित करें, जो किसी ट्रेड में आपके प्रवेश को गति प्रदान करेंगे। इसमें मूविंग एवरेज, कैंडलस्टिक पैटर्न या आर्थिक घटनाएँ शामिल हो सकती हैं।
  • बाहर निकलने के सिग्नल: जानें कि किसी ट्रेड से कब बाहर निकलना है, चाहे यह लाभ के लक्ष्य पर आधारित हो, स्टॉप लॉस स्तर पर हो या ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर को सक्रिय करने पर आधारित हो।
  • स्तर का आकार: जोखिम झेलने की अपनी क्षमता और स्टॉप लॉस स्तर के आधार पर सही स्तर के आकार का पता लगाएँ। सुनिश्चित करें कि आप किसी सिंगन ट्रेड पर अपनी ट्रेडिंग पूँजी के पूर्व निर्धारित प्रतिशत से अधिक का जोखिम नहीं उठा रहे हों।

बैकटेस्टिंग और सत्यापन

बाज़ार की अलग-अलग स्थितियों में इसके प्रदर्शन को देखने के लिए, ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करके अपनी रणनीति का बैकटेस्ट करें। लाभप्रदता, गिरावट और जोखिम-पुरस्कार अनुपात पर नज़र रखें।

आप Metatrader 4 या Metatrader 5 ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर इन-बिल्ड सुविधाओं का उपयोग करके बैकटेस्ट कर सकते हैं। हालाँकि, ओवर-ऑप्टिमाइज़ और ओवरफ़िटिंग से सावधान रहें। ये सामान्य गलतियाँ हैं, जो कई ट्रेडर पहली बार ट्रेड शुरू करते समय करते हैं। नीचे दिए गए पैराग्राफ़ में इनके बारे में और जानें।

ओवरफ़िटिंग क्या है?

बैकटेस्टिंग में अक्सर ओवरफ़िटिंग तब होती है, जब कोई ट्रेडर कुछ इंडिकेटर्स या ट्रेडिंग नियमों के मापदंडों में बदलाव करता है। फिर रणनीति प्रशिक्षण डेटा पर असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन करती है, लेकिन नए, अनदेखे डेटा या वास्तविक ट्रेडिंग स्थितियों में नहीं।

ओवरफ़िटिंग से कैसे बचें?

आउट-ऑफ़-सैंपल टेस्टिंग और क्रॉस-वैलिडेशन

अनदेखे ऐतिहासिक डेटा पर अपनी रणनीति को आज़माने को आउट-ऑफ़-सैंपल टेस्टिंग के रूप में भी जाना जाता है। मान लीजिए कि किसी ट्रेडर ने 2019 और 2022 के बीच 3 साल की ऐतिहासिक अवधि के आधार पर एक रणनीति विकसित की है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि रणनीति अभी भी प्रासंगिक है, वह 2023 के डेटा का उपयोग करके उस रणनीति को टेस्ट या 'क्रॉस-वैलिडेट' करेगा और यह देखेगा कि 2019-2022 के उपयोग किए गए डेटा के मुकाबले इसके प्रदर्शन की तुलना की जा सकती है या नहीं।

नीचे दिया गया उदाहरण पाइथन-आधारित लाइब्रेरी का उपयोग करके S&P 500 के लिए ट्रेडःफ़ॉलोइंग रणनीति के लिए मशीन-आधारित क्रॉस-वैलिडेशन टेस्ट दिखाता है। यह रणनीति अनदेखे डेटा पर भी लाभ उत्पन्न करना जारी रखती है, यह सुझाव देती है कि यह वास्तविक बाजार स्थितियों में भी अच्छी तरह से काम कर सकती है। हालाँकि, वास्तविक बाज़ार स्थितियों में इस प्रणाली का प्रदर्शन थोड़ा अलग है, फिर भी यह अब तक लाभदायक है। इस मामले में हमारा निष्कर्ष यह है कि यह रणनीति ऐतिहासिक डेटा के लिए ओवर-ऑप्टिमाइज़ नहीं है और वास्तविक बाज़ार स्थितियों में इसके काम करने की अच्छी संभावना है।

एक आउट-ऑफ़-सैंपल टेस्ट से पता चल सकता है कि आपकी रणनीति वास्तविक बाज़ार स्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं है और कुछ आइडियो को छोड़ने की ज़रूरत पड़ सकती है। इसलिए, किसी रणनीति को डिज़ाइन करने में ट्रायल और एरर शामिल होते हैं, जब तक कि आपको कोई ऐसी रणनीति न मिल जाए, जो कारगर हो। ऐसा करने के लिए समय निकालना उचित है, क्योंकि वास्तविक बाज़र स्थितियों में ओवरफ़िटेड रणनीतियों को चलाना व्यावहारिक नहीं है।

मुख्य ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट के रूप में S&P 500 इंडेक्स का उपयोग करते हुए सावधानीपूर्वक निष्पादित ट्रेडिंग रणनीति के लिए एक क्रॉस-वैलिडेशन टेस्ट। स्रोत: Exness.

रियल टाइम में अपनी ऑटोमेटेड रणनीति रन करना

ऐतिहासिक सिमुलेशन से लाइव ट्रेडिंग के ट्रांज़िशन में रियल टाइम में एक बैकटेस्टेड रणनीति चलाना शामिल है। इसे करने का तरीका यहाँ बताया गया है:

डेमो या पेपर ट्रेडिंग वातावरण में बैकटेस्टिंग

ज़्यादातर ब्रोकर डेमो या पेपर ट्रेडिंग अकाउंट की पेशकश करते हैं। आप वास्तविक पूँजी को जोखिम में डाले बिना अपने लाइव ट्रेडिंग सिस्टम का परीक्षण करने के लिए इनका उपयोग कर सकते हैं। इससे यह पुष्टि करने में मदद मिलती है कि आपकी रणनीति रियल टाइम की स्थितियों के तहत इच्छित रूप से संचालित होती है। उचित निष्पादन और प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए इसे एक छोटे ट्रेडिंग खाते या Exness के Standard ट्रेडिंग खाते के साथ रन करने पर विचार करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हाँ, आप किसी भी ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट के लिए ऑटो ट्रेडिंग का उपयोग तब तक कर सकते हैं, जब तक कि आपका ब्रोकर उन्हें ऑफ़र करता है और वे आपके ट्रेडिंग टर्मिनल में उपलब्ध हैं। हालाँकि, कुछ इंस्ट्रूमेंट्स में पर्याप्त ऐतिहासिक डेटा का अभाव है, इसलिए उन इंस्ट्रूमेंट्स के साथ रहना बेहतर है, जिनके पास यह प्रचुर मात्रा में है।

एक ट्रेडर के रूप में, आपको ऑटो ट्रेडिंग से कई फ़ायदे मिलते हैं।

ऑटो ट्रेडिंग के फ़ायदे:

  • सबसे पहले, आप निष्पादन को मशीन को सौंप सकते हैं, जिससे भावनात्मक दबाव, गलत निर्णय की संभावना और निष्पादन में संभावित गड़बड़ी की आशंका में काफी कमी आएगी।
  • दूसरा, ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम या रणनीतियों का ऐतिहासिक डेटा पर पूरी तरह से परीक्षण किया जा सकता है। इसका मतलब है कि आपको पता चल जाएगा कि इसने अतीत में कैसा प्रदर्शन किया था, जो रियल टाइम में रणनीति के संभावित प्रदर्शन का असल नज़रिया पेश कर सकता है। यह भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं है, लेकिन यह रणनीति बनाने के लिए एक उपयोगी टूल है।
  • आखिर में, एक ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम लगातार काम कर सकता है यहाँ तक कि रात में भी। इस वौरान वह ये भी सुनिश्चित कर सकता है कि आप किसी भी संभावित ट्रेडिंग अवसर से न चूकें।

कई लाभों के बावजूद ऑटोमेटेड ट्रेडिंग के कुछ नुकसान भी हैं।

ऑटो ट्रेडिंग के नुकसान:

  • बाज़ार की स्थितियों में बदलाव के हिसाब से ढलने में एक एल्गोरिद्म धीमा साबित हो सकता है।
  • आपको सिर्फ़ यह एहसास होगा कि आपका ट्रेडिंग सिस्टम आगे चलकर लड़खड़ा गया है। ऑपरेशन के दौरान, आपसे उम्मीद की जाती है कि आप सिस्टम को फ़ॉलो करेंगे, भले ही इससे कोई समस्या उत्पन्न हो। लचीलेपन की यह कमी एक नकारात्मक पहलू हो सकती है। जबकि मैन्युअल ट्रेडिंग के साथ, नौसिखिया और अनुभवी ट्रेडर्स बाज़ार की बदलती स्थितियों के अनुसार अपने ट्रेड की दिशा को तुरंत बदल सकते हैं। यह मैन्युअल ट्रेडिंग के लाभों में से एक है।

ऑटो ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग अनुभव और बैकटेस्टिंग के साथ-साथ प्रोग्रामिंग से जुड़ी कुछ जानकारी ज़रूरत होती है। इसलिए, भले ही आप एक अनुभवी ट्रेडर हों, आपको ऑटो ट्रेडिंग के लिए इन खास कौशलों को सीखने की ज़रूरत है। कुछ लोगों को ऑटो ट्रेडिंग बहुत जटिल लगती है, लेकिन आपको ज़्यादा कुशल सॉफ़्टवेयर डेवलपर बनने की ज़रूरत नहीं है। एक औसत कंप्यूटर उपयोगकर्ता ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की कला में महारत हासिल कर सकता है।

क्या आप ऑटोमेटेड ट्रेडिंग की सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं?

ऑटो ट्रेडिंग स्टॉक इंडेक्स सहित आज के वित्तीय बाज़ारों में उपयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय पद्धति है। ऑटोट्रेडिंग कम मानवीय त्रुटि और बेहतर जोखिम प्रबंधन, तेज़ ट्रेड निष्पादन और विविध व जटिल रणनीतियों तक अपेक्षाकृत आसान एक्सेस जैसे लाभ प्रदान करती है। इसे नौसिखियों और पेशेवर ट्रेडर्स की खास ज़रूरतों के हिसाब से ढ़ाला जा सकता है, जो उनके लक्ष्यों और जोखिम वहन करने की क्षमता पर निर्भर करता है। हालाँकि, एल्गोरिजम रणनीतियों को सावधानीपूर्वक तैयार करना और टेस्ट डेटा पर उन्हें ओवरफ़िट करने से बचना आवश्यक है।

कई फ़ायदों के बावजूद, ऑटोमेटेड ट्रेडिंग प्रणाली का उपयोग लाभ की कोई गारंटी नहीं है। ट्रेडर्स को अपनी मौजूदा रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए लगातार नए आइडिया और तरीकों की तलाश करनी चाहिए। ऑटो ट्रेडिंग की क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं? क्यों न आज ही Exness के साथ इंडेक्स ट्रेडिंग शुरू किया जाए?

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यह निवेश सलाह नहीं है। पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों का संकेत नहीं है। आपकी पूंजी जोखिम में है, कृपया सावधान रहें।